प्रथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय



प्रथ्वीराज चौहान-3 एक महान हिन्दू सम्राट


प्रथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय

1.प्रथ्वीराज का जन्म- 1166 ई. व वि.सं.(1223) में अन्हिलपाटन (गुजरात) में हुआ !

2. पिता - सोमेश्वर जो अजमेर के शासक थे!

3. माता- कर्पूरीदेवी

4.प्रथ्वीराज चौहान के उपनाम - रायपिथौरा,उडना राजकुमार ,प्रथ्वीराज -3 

प्रथ्वीराज चौहान का शासनकाल 1177- 1192- प्रथ्वीराज चौहान के पिता की म्रत्यु 1177 मे हुई , जब प्रथ्वीराज मात्र 11 वर्ष के थे! 11 वर्ष की आयु में अपनी मा की देखरेख में शासक बने! सन् 1178 में प्रथ्वीराज ने शासन की सत्ता अपने हाथ में लेली!

 भण्डानको का दमन - भण्डानक सतलज प्रदेश से आने वाली एक जाती थी! जो गुडगॉव व हिसार के आसपास निवास करती थी प्रथ्वीराज ने 1182 में भण्डानको के खिलाफ सैनिक कार्यवाही कर भण्डानको का दमन किया!


महोबा का युद्ध 1182 /चंदेल का युद्ध -चंदेल वंशीय शासक परमर्दी देव ( परमार) महोबा का शासक था, जो 1182 के युद्ध में  प्रथ्वीराज से पराजित हुआ! इस युद्ध में दो वीर आला व ऊदल थे  ऊदल इस युद्ध में मारा गया! 

महोबा युद्ध का कारण- भण्डानको का दमन कर लौट रही प्रथ्वीराज की सेना पर परमर्दी देव ने आर्कमण कर दिया !

1183-84 - प्रथ्वीराज ने चालुक्य राजा भीमदेव को पराजित किया !


प्रथ्वीराज चौहान एक महान विद्वान थे! उन्होंने कला साहित्य विभाग की स्थापना अजमेर में विद्वानो को प्रोत्साहित करने हेतू की!

प्रथ्वीराज चौहान के दरबार में निम्न  विद्वान रहते थे -वागीश्वर, जनार्दन,प्रथ्वीभट्ट,विश्वस्वरुप,चंदबरदाई (प्रथ्वीराज रासो),जनायक, विधापति गौड, प्रसिद्ध विद्वान थे!

संयोगिता  - कन्नौज के शासक जयचंद गहडबाल की पुत्री थी! संयोगिता-प्रथ्वीराज से प्रेम करती थी!  संयोगिता गहडबाल व चौहानो के मध्य दुश्मनी का कारण थी संयोगिता के पिता जयचंद गहडबाल ने संयोगिता के विवाह हेतू राजसूय यग व स्वंमवर रखा जिसमे प्रथ्वीराज चौहान को नही बुलाया ! प्रथ्वीराज चौहान को अपमानित करने हेतू  महल के द्वार पर प्रथ्वीराज चौहान की मूर्ति लगा दी ! संयोगिता वरमाला लेकर आयी और वरमाला प्रथ्वीराज चौहानी की मूर्ति को पहना दी! वहाँ प्रथ्वीराज चौहान साधु के वेश था प्रथ्वीराज चौहान  वहाँ से संयोगिता को लेकर भाग गया!

तराईन का प्रथम युध्द 1991-  प्रथ्वीराज चौहानी व मुहम्मद गौरी के मध्य हुआ जिसमें मुहम्मद गौरी की हार हुई !प्रथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी को छोड दिया, जो इतिहास में प्रथ्वीराज चौहान की सबसे बडी भूल थी!

तराईन का द्वितीय युध्द 1992- प्रथ्वीराज चौहानी व मुहम्मद गौरी के मध्य हुआ! इस युध्द में मुहम्मद गौरी ने प्रथ्वीराज चौहानी के साथ छल किया और इस युध्द में मुहम्मद गौरी की जीत हुयी! मुहम्मद गौरी ने प्रथ्वीराज चौहानी को बंदी बना लिया! यह युध्द भारतीय इतिहास का निर्णायक युध्द था ,इस युध्द के बाद चिश्ती मुहम्मद गौरी के साथ भारत आया और अजमेर में बस गया|

प्रथ्वीराज चौहानी की म्रत्यु - प्रथ्वीराज चौहानी की म्रत्यु के बारे मैं इतिहासकारो अलग -अलग मत हैं|

 

1.प्रथ्वीराज रासो -रचियता चंदबरदाई 

प्रथ्वीराज रासो में यह बताया गया है कि मोहम्मद गौरी ने जब पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया तो पराजित करने के बाद मोहम्मद गौरी, प्रथ्वीराज चौहान को गजनी लेकर गया तथा वहां पर उसने पृथ्वीराज चौहान की आंखें फोड़ दी।

बाद में प्रथ्वीराज चौहान के मित्र और उनके दरबारी कवि चंदबरदाई गजनी गए। वहां पर उन्होंने मोहम्मद गौरी को यह बताया कि पृथ्वीराज चौहान की आंखें नहीं है  प्रथ्वीराज चौहान शब्दबेदी बाण चलाने में नपुण हैं!मोहम्मद गौरी इस प्रतिभा को देखने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद  मोहम्मद गौरी सात मंजिल महल में बड़े सिंहासन पर बैठ गया !

अब प्रथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गौरी के सामने लाया गया। प्रथ्वीराज चौहान के पास मे ही इनके मित्र चंदबरदाई मौजूद थे,  प्रथ्वीराज चौहान की आंखें तो नही थी अपने मित्र चंदबरदाई की आवाज को पहचान गए और चंदबरदाई ने कविता के माध्यम से यह बताया कि मोहम्मद गौरी कितनी ऊंचाई पर बैठा हुआ है ताकि प्रथ्वीराज चौहान को यह पता चल सके कि कितनी ऊंचाई पर तीर चलाना है जिससे मोहम्मद गौरी की मृत्यु हो जाए।

तब चंदबरदाई ने कविता के माध्यम से कहा कि

"चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान " 

 चंदबरदाई ने अपने मित्र प्रथ्वीराज चौहान को यह संकेत  की दिया कि मुहम्मद गौरी कितनी ऊंचाई पर बैठा हुआ है। प्रथ्वीराज चौहान ने इस बात का अंदाजा लगाते हुए एक तीर छोड़ा जो मोहम्मद गोरी के सिर पर जाकर लगा ! और मुहम्मद गौरी वही मर गया!

इसके बाद चंदबरदाई और  प्रथ्वीराज चौहान ने आपस मे  एक दूसरे की हत्या कर ली|| चंदबरदाई की म्रत्यु के बाद इसके पुत्र जल्हण ने प्रथ्वीराज रासो की रचना पूर्ण 

2.हमीर महाकाव्य - रचियता नयनचंद सूरी 

नयनचंद सूरी ने  बताया गया है कि तराईन के दूसरे युद्ध में पराजित होने के बाद मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया था और  पृथ्वीराज चौहान की हत्या करवा दी !

3 विरूद्धविधिविध्वंस -

जिसमें बताया गया है कि युद्ध स्थल पर ही पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु हो गई थी।

प्रथ्वीराज चौहान इतिहास में रायपिथौरा के नाम से प्रसिद्ध हुए

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